हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई।
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।।
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
बलि और वामन, राधे श्यामी छंद
"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
दिल के मसले हैं अलग, अलग दिलों की बात।
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
अंधेरा कभी प्रकाश को नष्ट नहीं करता
तुम्हारे ही ख्यालों में हम भीगते हैं ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*