गिफ्ट में क्या दू सोचा उनको,
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
जाने क्यों भागती है दुनिया खूबसूरती के पीछे।
- भाई -भाभी के हो गए मां -बाप परिवार को खो गए -
‘ विरोधरस ‘---5. तेवरी में विरोधरस -- रमेशराज
नूर ए मुजस्सम सा चेहरा है।
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
बेटी का हक़
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
सोचा नहीं था एक दिन , तू यूँ हीं हमें छोड़ जाएगा।
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
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जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
#सुमिरन
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)