Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2024 · 2 min read

अजीब शै है ये आदमी

एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – दिल्ली

arun kumar shastri

दर्द देता है फिर दवा देता है।
बहुत अजीब शै है ये आदमी।
क़र्ज़ देकर के कज़ा देता है।

इसकी हाँ का पता न ही इसकी ना का पता।
आज देता है सहारा कल उसी को हटा लेता है।

दर्द देता है फिर दवा देता है।
बहुत अजीब शै है ये आदमी।
क़र्ज़ देकर के कज़ा देता है।

अपनी छोटी सी इस जिंदगानी में।
रोज़ – रोज़ ये सैंकड़ों की बद्दुआ लेता है।

दर्द देता है फिर दवा देता है।
बहुत अजीब शै है ये आदमी।
क़र्ज़ देकर के कज़ा देता है।

कभी बन जाता है बुद्ध तो कभी राम और कृष्ण ये।
कभी – कभी तो नज़र आता है राधा सा।
कभी करता है अपराध बड़े भीषण – भीषण।
कभी आता है सीधा सादा और सरल।

इसकी हाँ का पता न ही इसकी ना का पता।
आज देता है सहारा कल उसी को हटा लेता है।

अपनी छोटी सी इस जिंदगानी में।
रोज़ – रोज़ ये सैंकड़ों की बद्दुआ लेता है।

शक़्ल इसकी देख कर लगता शिशु सा भोला भाला।
रंग इसका चटक गोरा है बाहर से बिलकुल।
पास जाओ तो निकलेगा एकदम काला।

दर्द देता है फिर दवा देता है।
बहुत अजीब शै है ये आदमी।
क़र्ज़ देकर के कज़ा देता है।

बात करता है तो जीसस कभी सुकरात लगता है।
अल्लादीन की तो गिहारबी ख़लिस औलाद लगता है।
गिरगिट के माफ़िक कब रंग बदल जाए इसका।
इस बात का एहसास न अंदाज़ लगता है।

दर्द देता है फिर दवा देता है।
बहुत अजीब शै है ये आदमी।
क़र्ज़ देकर के कज़ा देता है।

अपनी छोटी सी इस जिंदगानी में।
रोज़ – रोज़ ये सैंकड़ों की बद्दुआ लेता है।

3 Likes · 2 Comments · 103 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

आजादी की कहानी
आजादी की कहानी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
اب سیاست کے ڈھب اسکو آنےلگ
اب سیاست کے ڈھب اسکو آنےلگ
Kamil Badayuni
"फागुन में"
Dr. Kishan tandon kranti
बस जिंदगी है गुज़र रही है
बस जिंदगी है गुज़र रही है
Manoj Mahato
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
SATPAL CHAUHAN
किताबों से ज्ञान मिलता है
किताबों से ज्ञान मिलता है
Bhupendra Rawat
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पत्नी की पहचान
पत्नी की पहचान
Pratibha Pandey
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
कवि रमेशराज
फूल शूल पादप फसल ,
फूल शूल पादप फसल ,
Dr. Sunita Singh
आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल
पूर्वार्थ
नश्वर सारा जीव जगत है सबने ही बतलाया
नश्वर सारा जीव जगत है सबने ही बतलाया
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शीर्षक:-मित्र वही है
शीर्षक:-मित्र वही है
राधेश्याम "रागी"
"पारदर्शिता की अवहेलना"
DrLakshman Jha Parimal
गणपति बप्पा
गणपति बप्पा
विजय कुमार नामदेव
मेरे हिस्से की धूप
मेरे हिस्से की धूप
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
भोले बाबा की महिमा भजन अरविंद भारद्वाज
भोले बाबा की महिमा भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
VINOD CHAUHAN
वीरांगनाएँ
वीरांगनाएँ
Dr.Pratibha Prakash
झुक नहीं सकती
झुक नहीं सकती
surenderpal vaidya
23/130.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/130.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा एकादश. . . . जरा काल
दोहा एकादश. . . . जरा काल
sushil sarna
मानकीकृत तराजू पर जोखाइत लोकभाषा मैथिली
मानकीकृत तराजू पर जोखाइत लोकभाषा मैथिली
Dr. Kishan Karigar
यक्षिणी-16
यक्षिणी-16
Dr MusafiR BaithA
मुस्कुराती  बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
मुस्कुराती बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
आज का कल
आज का कल
Nitu Sah
F
F
*प्रणय*
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...