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5 Sep 2024 · 3 min read

युवा सपूतों

किधर जा रहे हो युवा सपूतो
मॉक सिगार, ई सिगरेट न फूंको||

आओ देवालय तुमको बुलाते
देव हिमांचल के गा गा सुनाते ||

देख कर पश्चिम को भटकते क्यों हो
अपने ही सत्य से मुकरते क्यों हो ||

शस्य श्यामला भारत की धरती
भ्रमण तो करो ये गर्वित है करती ||

संभल जाओ तुमको हम ये बताते
पछताओगे तुम जग से जाते जाते||

यूं जिम में जाकर न बॉडी दिखाओ
श्रेष्ठ हो स्वास्थ्य, सौष्ठव बनाओ||

ये माल्ट झूठे हैं झूठा दिखावा
ब्रह्मचर्य सच्चा है ये सब छलावा||

विज्ञापन के मारे जो फंसते बेचारे
सप्लीमेंट खाकर गए बे मौत मारे||

ज्ञान विज्ञान अध्यात्म सिखाए
मल्ल पहलवान दंगल लड़ाए ||

अर्जुन धनुर्धर भीम और बलराम
शुद्ध अन्न और मन से हो खाद्यान्न ||

करके समर्पित ग्रहण जब हैं करते
वही भोज वास्तव मुक्त रोग करते||

तिल के लड्डू गजक गुण मखाने
चना, मूंगफली, घी, बाजरा के हों दाने||

गाजर का हलवा, रसगुल्ला बंगाली
क्यों मीठा है चॉकलेट भरी जब है थाली||

पंजीरी अगहन, माघ खिचड़ी उड़द की
मुंगी का हलवा मोतीचूर और बर्फी||

सो कहना हमारा यही आप सबसे
कवित्त छंद हमारा हुआ रेप कब से||

चुरा ज्ञान वेदों से हमको सिखाते
कभी नीम का झूठा पेटेंट कराते||

शिव के पुजारी हम शक्ति के साधक
पीते हलाहल हम खेले सिंह शावक||

भूले खुद को क्यों तुम भरत वंश प्यारे
चाणक्य चन्द्रगुप्त अशोक सुत न्यारे ||

खलनायक भी जहां महापंडित हुआ है
अहम ज्ञान रावण भी खंडित हुआ है||

जागो स्वयं से स्वयं को मिलाओ
अंतस में अपने लौ अब जगाओ||

राणा शिवाजी के भाला संभालो
नवीन सभ्यता को अब सवारों||

हम भक्ति का प्याला इकतारा में गाते
प्रणय गीत मधुवन के ईश्वर मिलाते ||

भरत वंश जग में कहलाते
सिंह शावक के दंत गिनाते ||

वेदों का ज्ञान प्रकाश फैलाते
अध्यात्म की लौ हम , हृदय जगाते ||

हम शून्य -अंक खोजने वाले
विश्व गुरु कहलाने वाले ||

हमारी तुलना क्या किससे होगी
ऋषि संत योगी हैं, नहीं हम भोगी ||

नग्न ही कन्दराओं में रह जाते
मानव को मानवता सिखलाते ||

हम हैं सनातन शिव आराधक
शक्ति रूप के हम ही साधक ||

जहां वात्सायन ऋषि कहलाते
बसंतसेना को सम्मान दिलाते ||

गीता-पुराण, रामायण संग गाते
जहां कामसूत्र भी, ग्रंथों में आते ||

जहां नगर वधू, विदुषी बन जाती
महाभारत में बृहनाला की झांकी ||

जहां शिव स्वयं गरल पी लेते
कष्ट क्लेश सबका हर लेते ||

जहां गौरी संग गणेश हैं आते
गण और प्रेत नंदी संग गाते ||

जहां पंचतत्व की पूजा होती
कहों प्रकृति की कहाँ ये झांकी ||

करके भ्रमित इस, हिन्द समाज को
वर्चस्व बनाया, लोलूप के राज को ||

लूटा भारत और सम्पदा भी लूटी
नीची ये राजनीति, कब इनसे छूटी||

पुनः जागरण अवसर आया है
संस्कृति जागृति का समय लाया है ||

मंगल मिशन ने इतिहास रचा था
चंद्रयान ने रच दी अब गाथा ||

खेलों में परचम लहराया
म्हारी छोरियां ने ध्वज फहराया ||

क्रिकेट कबड्डी या हो हॉकी
दिखने लगी अध्यात्म की झांकी ||

काशी अवध को मुक्त कराया
संसद में शंखनाद करवाया ||

मात- पिता और स्त्री सम्मान हो
संस्कारों में नैतिकता पहचान हो ||

फिर से गुरकुल वैद्यशाला बनबाएं
अनिवार्य प्राकृतिक हों पाठशालाएं ||

कन्या अब देवी लक्ष्मी कहलाये
नहीं निर्भया अब जानी कहीं जाए ||

मेरा देश विश्व गुरु फिर से होगा
जय जय भारत की ये नभ करेगा ||

Language: Hindi
1 Like · 48 Views
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