मेरे कमरे में बिखरे हुए ख़त
*जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी
जहर मे भी इतना जहर नही होता है,
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
शिक्षा होने से खुद को स्वतंत्र और पैसा होने से खुद को
*अब सब दोस्त, गम छिपाने लगे हैं*
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
परछाइयां भी छोटी हो जाया करती है,
दोस्तों, जब जीवन में कुछ अच्छा होने वाला होता है तो अक्सर ऐस