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5 Sep 2024 · 1 min read

मैं खड़ा किस कगार

मैं खड़ा किस कगार
नही मै किसी का गुनहगार,
फिर भी मैं हूं बेकार,
मैं इस कदर लाचार,
नहीं बता सकता अपने विचार।

मैं खड़ा किस कगार
अपनी ही उलझनो में गिरफ्तार,
लोग समझते मुझे होसियार,
लेकिन मैं बिना स्वाद का अचार,
मुझमें बहुत हैं दुराचार।

मैं खड़ा किस कगार
बिना तार का मै गिटार,
जिसकी संगीत है निराधार,
रिश्तों में मैं गंवार,
फिर भी मुझे सबसे दुलार ।

मैं खड़ा किस कगार
मैं इतना भी नही खूखार,
की मुझे देख आ जाय बुखार,
सपने गढ़ता जैसे कुम्हार,
फिर भी समझते मुझे अंगार।

Language: Hindi
1 Like · 107 Views

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