*"जहां भी देखूं नजर आते हो तुम"*
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी,
रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं
अगर मांगने से ही समय और प्रेम मिले तो क्या अर्थ ऐसे प्रेम का
चुनाव के दौर से (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ख्वाँबो को युँ बुन लिया आँखो नें ,
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
*कागज़ कश्ती और बारिश का पानी*
*होते यदि सीमेंट के, बोरे पीपा तेल (कुंडलिया)*
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*