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27 Aug 2024 · 1 min read

उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचे जब किसी के साथ की बेहद जरूरत होती

उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचे जब किसी के साथ की बेहद जरूरत होती है
जब परिवार के बीच हंसी खुशी के साथ आंखें ये नम होती है

सारी उम्र कमाने और घर बनाने में बीत गई
ख्याल खुद का कभी किया नहीं
सबके लिए जिए हमेशा जो उसने ख़ुद के लिए कभी एक पल जीया नहीं

ना जाने कब वो कमाने की उम्र से बोझ तले दबने लगे
ना जाने कब उनकी आवाज़ से लेकर वो ख़ुद अपने बच्चों की आंखों में खटकने लगे

वो बच्चों के सब नखरे उठाते है लेकिन बच्चे माता पिता को संभाल नहीं पाते
छोड़ आते हैं उन्हें वृद्धाआश्रम उनका खयाल रख नहीं पाते

चार चार बच्चों को अकेले संभालने वाले माता पिता वृद्ध अवस्था में अकेले रह जाते है
बीता दी जिनके लिए अपनी सारी उम्र वो चुप चाप सब गम सह जाते है

उस पल भी बच्चों की खुशी के लिए वो घर से निकल जाते है
जाते जाते दुआओं से उनका घर भर जाते है

आसान नहीं अपने परिवार से दूर जाना लेकिन अपने बच्चों की खुशी के जाना पड़ता है
चाहे वक्त का हर लम्हा उनसे बेरहमी से लड़ता है।

हिम्मत नहीं हारते वो माता पिता जिनके बच्चे उन्हें वृद्धा आश्रम छोड़ आते है
वो तो चाहते है अपने बच्चों की खुशी
इसलिए हंसते हंसते सबसे नाता तोड आते हैं
सबसे नाता तोड़ आते हैं।

Rekha khichi

Language: Hindi
Tag: Poem
91 Views
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