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25 Aug 2024 · 1 min read

*गुरु चरणों की धूल*

गुरु चरणों की धूल

वतर्ज-
तेरे इश्क का मुझपे हुआ ए असर है।
न अपनी खबर है न दिल की खबर है।
स्थाई
मेरे अक्श का किस पे रुआ बेखबर है।
न नूरानी सॅंवर है न कल की सॅंवर है।।
नज़र यह तुम्हारी ढ़ाती कहर है।
मेरे अक्श का किस पे रुआ बेखबर है।
अन्तरा-१
तेरे द्वार जैसे अपारा कला है,
के कवियों को जैसे सुधारा भला है।
वो रूसे तुझको निहारा खुला है,
के राफ़ा वैसे सहारा मिला है।।
उड़ान
हेरी ये निर्झर से मेरी निर्झर है।
मेरे अक्श का किस पे रुआ बेखबर है।
अन्तरा-२
रॅंगी राही तस्मै श्री गुरुवे नमः,
कनक की झनक बज़्म बाॅंधे समा।
रवि हंगामा स्वरसरि बंदगी,
रमा ये बृंम्हाणी आपस में लड़ी।।
उड़ान
मिल जुल के गाते विज्ञान किधर है।
मेरे अक्श का किस पे रुआ बेखबर है।
नज़र यह तुम्हारी ढ़ाती ढ़ाती कहर है।

जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
पठौरिया झाँसी

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