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24 Aug 2024 · 1 min read

” जागीर “

” जागीर ”
रचनाएँ मेरी जागीर बन गई,
सारे जमाने की तस्वीर बन गई।
जोड़ूँ तोड़ूँ घटाऊँ कि बढाऊँ,
ये मेरी मर्जी की तासीर बन गई।

3 Likes · 3 Comments · 80 Views
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