Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2024 · 1 min read

भर चुका मैल मन में बहुत

भर चुका मैल मन में बहुत
अवसादों की बदली छाई है
मिठास के बंध दृश्यों पर
चढ़ा है रंग कड़वाहटों का
उदासी मन में बहुत भारी है
मन की धरा पर होती, नहीं
अब बारिश न इस ओर न उस ओर
लेकिन जीवन का अनुक्रम सतत जारी है।।

75 Views

You may also like these posts

अंधा वो नहीं...
अंधा वो नहीं...
ओंकार मिश्र
🙅पूछ रहा दर्शक🙅
🙅पूछ रहा दर्शक🙅
*प्रणय*
" इंसान "
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी....एक सोच
जिंदगी....एक सोच
Neeraj Agarwal
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मैं लिखती नहीं
मैं लिखती नहीं
Davina Amar Thakral
SCHOOL..
SCHOOL..
Shubham Pandey (S P)
माता पिता
माता पिता
Taran verma
दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं........
दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं........
shabina. Naaz
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
Ajit Kumar "Karn"
कणों से बना हुआ समस्त ब्रह्मांड
कणों से बना हुआ समस्त ब्रह्मांड
ruby kumari
तेवरी : युग की माँग + हरिनारायण सिंह ‘हरि’
तेवरी : युग की माँग + हरिनारायण सिंह ‘हरि’
कवि रमेशराज
मेरा जीवन,
मेरा जीवन,
Urmil Suman(श्री)
बेटी का हक़
बेटी का हक़
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
उर्मिला व्यथा
उर्मिला व्यथा
सोनू हंस
तुझसे है कितना प्यार
तुझसे है कितना प्यार
Vaishaligoel
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
Ajay Mishra
दुर्लभ हुईं सात्विक विचारों की श्रृंखला
दुर्लभ हुईं सात्विक विचारों की श्रृंखला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
संबंध अगर ह्रदय से हो
संबंध अगर ह्रदय से हो
शेखर सिंह
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
हाय रे गर्मी
हाय रे गर्मी
अनिल "आदर्श"
बिड़द थांरो बीसहथी, खरो सुणीजै ख्यात।
बिड़द थांरो बीसहथी, खरो सुणीजै ख्यात।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हम तो मर गए होते मगर,
हम तो मर गए होते मगर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*छोटे होने में मजा, छोटे घास समान (कुंडलिया)*
*छोटे होने में मजा, छोटे घास समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गुमनाम ईश्क।
गुमनाम ईश्क।
Sonit Parjapati
लंबा धागा फालतू, कड़वी बड़ी जुबान .
लंबा धागा फालतू, कड़वी बड़ी जुबान .
RAMESH SHARMA
कविता
कविता
लक्ष्मी सिंह
राम मंदिर
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
खंभों के बीच आदमी
खंभों के बीच आदमी
राकेश पाठक कठारा
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
'अशांत' शेखर
Loading...