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18 Aug 2024 · 1 min read

मेरी आँखों से जो ये बहता जल है

मेरी आँखों से जो ये बहता जल है
ये सब तेरी ही वाणी का तो छल है

मुझ में बहती एक नदी सी चंचल है
क्या तुझ पत्थर दिल में भी कुछ हलचल है

तेरी यादों का जो मुझ में जंगल है
उसमें महके सपनों का ज्यों संदल है

ये दिल जब से तेरे प्रेम में घायल है
तब से दुनिया मुझको समझे पागल है

किसने दस्तक दी है फिर से इस दर पर
बंद हृदय की वर्षों से ये साँकल है

जैसे थाम लिया हो मुझ को फूलों ने
तूने जब से छुआ मेरा ये आँचल है

इस जीवन की एक पहेली सी तुम हो
जिसका मुझको नहीं मिला कोई हल है

– मीनाक्षी मासूम

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