वो राम को भी लाए हैं वो मृत्युं बूटी भी लाए थे,
मेरा एक छोटा सा सपना है ।
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
सपने सुहाने
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
जादू की झप्पी, माँ का पल्लू
"मासूम ज़िंदगी वो किताब है, जिसमें हर पन्ना सच्चाई से लिखा ह
हमसे तुम वजनदार हो तो क्या हुआ,
कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की?
गीत - इस विरह की वेदना का
सब्र का बांँध यदि टूट गया