देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
आज सारे शब्द मेरे खामोश मन में विचार ही नहीं उमड़ते।
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
वक्त के धारों के साथ बहना
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
हां..मैं केवल मिट्टी हूं ..
बुंदेली दोहा- चंपिया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना