माँ जन्मदात्री , तो पिता पालन हर है
ख्वाबों से निकल कर कहां जाओगे
दुनिया समझने की तकनीक आ गयी
हैं जो हाथ में,लिए नमक शैतान .
मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे
कौन है जिसको यहाँ पर बेबसी अच्छी लगी
दीपक का संघर्ष और प्रेरणा
कोई खेले रंग-भांग के संग, तो कोई खेले मसाने में।
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
मरूधरां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अपने कॉलेज के वार्षिक समारोह के दिन छेत्र के बी डी सी सुरेश