जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
दिल में जिसकी तस्वीर लगी है वो हो तुम -
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
सर्द हवाओं का मौसम
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
sp33 हर मानव एक बूंद/ आशा और निराशा
अक्सर तेरे प्यार में मेरा प्यार ढूंढता हूँ
*हम अनुरागी अंतर्मन से, हिंदी की मीठी बोली के (राधेश्यामी छं
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
रक़ीबों के शहर में रक़ीब ही मिलते हैं ।