हमशक्ल हजारों मिल जायेंगे इस दुनिया में
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
शहर में नकाबधारी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
हर किसी में आम हो गयी है।
अवसर आया है अभी, करें रक्त का दान
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
बिना पढ़े ही वाह लिख, होते हैं कुछ शाद
मेरा राम, तुम्हारे राम से भिन्न है,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*शिक्षा-क्षेत्र की अग्रणी व्यक्तित्व शोभा नंदा जी : शत शत नमन*
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इतने बीमार हम नहीं होते ।
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....