अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
वनमाली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*रामराज्य आदर्श हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)*
एक दूजे के जब हम नहीं हो सके
इठलाते गम पता नहीं क्यों मुझे और मेरी जिंदगी को ठेस पहुचाने
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
जब कोई व्यक्ति विजेता बनने से एक प्वाइंट या एक अंक ही महज दू
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो।
बेटियों को रोकिए मत बा-खुदा ,
आज की इस भागमभाग और चकाचौंध भरे इस दौर में,