अब घोसले से बाहर निकलने को कहते हो
ग़ज़ल _ तुम नींद में खोये हो ।
सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,
मेरी आवाज से आवाज मिलाते रहिए
कोई जो पूछे तुमसे, कौन हूँ मैं...?
तुझसे शिकवा नहीं, शिकायत हम क्या करते।
शिक्षक सम्मान में क्या खेल चला
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
मै बावरिया, तेरे रंग में रंग जाऊं