*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मेरी तो गलतियां मशहूर है इस जमाने में
नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
क्या होगी इससे बड़ी, बुरी दूसरी बात
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
हौसलों के दिये आँखों में छिपा रक्खे हैं,
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग...... एक सच
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
नेताओं एवं सरकारों के लिए कानून
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)