Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2024 · 1 min read

आवाज मन की

#दिनांक:-8/6/2024
#शीर्षक:-आवाज मन की

ताना-बाना दिमाग का मन से,
छुआ-छूत जाति-धर्म मन से ।
मिटाते भूख नजर पट्टी बांध-,
बाद नहाते तृप्त हो तन से।

क्या गजब खेल मन का भईया ,
दुश्मन भी कुछ पल का सईया।
उद्घाटित उद्वेलित उन्नत उन्नाव -,
उद्विग्न हो नियम की मरोड़ता कलईया।

फिर दलित सवर्ण हो जाते समान,
हवस मिटा करते भी हैं बदनाम ।
धर्म कहाँ गुम हो जाता उस क्षण-,
बर्बाद कर जिन्दगी बनते महान।

आदिकाल से ऐसा होता आ रहा,
मजबूर माँ-बाप रोता रह जा रहा।
आखिर कब ये सिलसिला रुकेगा-,
मामला दिन ब दिन बढता जा रहा।

कौन सा अब कानून बनाया जाए,
बलात्कार पर अंकुश लगाया जाए।
मन की तृप्ति सम्भव जान पड़ती-
तन की अतृप्ति रोज सुनामी लाए।

आवाज मन की है उद्गार कौन करे,
तड़प मन की है भाव कौन पढे ।
अपनी खिचड़ी में परेशान दुनिया,
सुरक्षित सुरक्षा कवच कौन गढे ।

(स्वरचित, मौलिक, और सर्वाधिकार सुरक्षित है)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 138 Views

You may also like these posts

बताओ हम क्या करें
बताओ हम क्या करें
Jyoti Roshni
*अग्रोहा फिर से मिले, फिर से राजा अग्र (कुंडलिया)*
*अग्रोहा फिर से मिले, फिर से राजा अग्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रिश्तों का सच
रिश्तों का सच
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"ईजाद"
Dr. Kishan tandon kranti
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हर पीड़ा को सहकर भी लड़के हँसकर रह लेते हैं।
हर पीड़ा को सहकर भी लड़के हँसकर रह लेते हैं।
Abhishek Soni
*ज़िन्दगी का सार*
*ज़िन्दगी का सार*
Vaishaligoel
गीत
गीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*जो जीता वही सिकंदर है*
*जो जीता वही सिकंदर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
उमा झा
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
आज कृष्ण जन्माष्टमी, मोदभरे सब लोग।
आज कृष्ण जन्माष्टमी, मोदभरे सब लोग।
डॉ.सीमा अग्रवाल
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
निश्छल प्रेम
निश्छल प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
3197.*पूर्णिका*
3197.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शासकों की नज़र में विद्रोही
शासकों की नज़र में विद्रोही
Sonam Puneet Dubey
दुनिया की ज़िंदगी भी
दुनिया की ज़िंदगी भी
shabina. Naaz
विश्वास
विश्वास
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
हमारे मां-बाप की ये अंतिम पीढ़ी है,जिनके संग परिवार की असली
हमारे मां-बाप की ये अंतिम पीढ़ी है,जिनके संग परिवार की असली
पूर्वार्थ
रोज दस्तक होती हैं दरवाजे पर मेरे खुशियों की।
रोज दस्तक होती हैं दरवाजे पर मेरे खुशियों की।
Ashwini sharma
आओ!
आओ!
गुमनाम 'बाबा'
*कष्ट का सुफल*
*कष्ट का सुफल*
*प्रणय*
*कन्या पूजन*
*कन्या पूजन*
Shashi kala vyas
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
manjula chauhan
" वतन "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मैं गांठ पुरानी खोलूँ क्या?
मैं गांठ पुरानी खोलूँ क्या?
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
असल आईना
असल आईना
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मजाज़ी-ख़ुदा!
मजाज़ी-ख़ुदा!
Pradeep Shoree
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
Vijay kumar Pandey
Loading...