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3 Jun 2024 · 1 min read

बचपन की मोहब्बत

बचपन की मोहब्बत को कैसे भुला पायेंगे
वादा करते जाओ,कभी याद नहीं आयेंगे।

अब जो बिछड़े है तो शायद ही मिल पाये
जिंदगी भर हम इस घाव को सहलाएंगे।

जिंदगी हंस के गुजरती तो बहुत अच्छा था
अब रो रो कर ही इस से हम निभायेंगे।

बहुत मिलेंगे नये हमसफ़र, इस दुनिया में
हम सब से तेरे किस्से‌ जरूर सुनायेंगे।

माना वक्त भर देता है हर घाव को लेकिन
इन जख्मों के निशान,हम न मिटा पाएंगे।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
1 Like · 139 Views
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