Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2024 · 1 min read

जाने वो कौन सी रोटी है

वह शाम ढले घर आता है,
सुबह जल्दी उठ जाता है,
जाने वो कौन सी रोटी है,
वह जाकर शहर कमाता है।

बच्चों के उठने से पहले,
घर छोड़ के वह चल देता है,
बच्चे सोते ही पाता है वह,
जब रात को वापस आता है,
अपने बच्चों के बचपन को,
वह ढ़ंग से कहाँ जी पाता है।

आँखों में गाढ़े काजल से,
वह रोज द्वार को तकती है,
पाजेब बंधी पैरों में पर,
खुशियों से नहीं खनकती है,
कितने सावन की बारिश के,
वह साथ कहाँ बह पाता है।

दो रोटी की ऐसी बन्दिश,
वह ढ़ंग से जीना भूल गया,
बचपन के देखे सपनों को,
यौवन में सीना भूल गया,
फिर से कोई सपना देखे,
इतनी कहाँ फुर्सत पाता है।

वह शाम ढले घर आता है,
सुबह जल्दी उठ जाता है,
जाने वो कौन सी रोटी है,
वह जाकर शहर कमाता है।

(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”

3 Likes · 278 Views
Books from दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
View all

You may also like these posts

3889.*पूर्णिका*
3889.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लघुकथा - घर का उजाला
लघुकथा - घर का उजाला
अशोक कुमार ढोरिया
The best Preschool Franchise - Londonkids
The best Preschool Franchise - Londonkids
Londonkids
शिकवा
शिकवा
अखिलेश 'अखिल'
बादलों को आज आने दीजिए।
बादलों को आज आने दीजिए।
surenderpal vaidya
रग रग में देशभक्ति
रग रग में देशभक्ति
भरत कुमार सोलंकी
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
प्रकृति की पुकार
प्रकृति की पुकार
AMRESH KUMAR VERMA
नारी का क्रोध
नारी का क्रोध
लक्ष्मी सिंह
हुईं मानवीय संवेदनाएं विनष्ट
हुईं मानवीय संवेदनाएं विनष्ट
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तन की चाहत से ऊपर उठ कर
तन की चाहत से ऊपर उठ कर
Chitra Bisht
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
राम मंदिर
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
- तेरे बिना जी नही पाऊंगा -
- तेरे बिना जी नही पाऊंगा -
bharat gehlot
Hey...!!Listen dear...!!
Hey...!!Listen dear...!!
पूर्वार्थ
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
कुछ पल तेरे संग
कुछ पल तेरे संग
सुशील भारती
ज़रूरी ना समझा
ज़रूरी ना समझा
Madhuyanka Raj
ऊपर बने रिश्ते
ऊपर बने रिश्ते
विजय कुमार अग्रवाल
दोहा
दोहा
Ravi Prakash
"जुबांँ की बातें "
Yogendra Chaturwedi
कोल्हू का बैल
कोल्हू का बैल
Sudhir srivastava
नववर्ष- 2025 के लिए
नववर्ष- 2025 के लिए
आर.एस. 'प्रीतम'
दोस्ती : कल और आज
दोस्ती : कल और आज
Shriyansh Gupta
रेस
रेस
Karuna Goswami
पिता
पिता
Sanjay ' शून्य'
दोहा- सरस्वती
दोहा- सरस्वती
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
Rj Anand Prajapati
कभी
कभी
PRATIK JANGID
Loading...