Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2024 · 1 min read

*करिए गर्मी में सदा, गन्ने का रस-पान (कुंडलिया)*

करिए गर्मी में सदा, गन्ने का रस-पान (कुंडलिया)
______________________
करिए गर्मी में सदा, गन्ने का रस-पान
अमिया का पन्ना पिया, जिसने भाग्य महान
जिसने भाग्य महान, धूप से वह बच पाया
चलते-चलते राह, मिली पेड़ों की छाया
कहते रवि कविराय, पेट कुछ कम ही भरिए
मध्यम होता श्रेष्ठ, संतुलित भोजन करिए
————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 999 7615 451

149 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुण्डल / उड़ियाना छंद
कुण्डल / उड़ियाना छंद
Subhash Singhai
थोड़ा और
थोड़ा और
Varun Singh Gautam
कितने धीमे से
कितने धीमे से
अंकित आजाद गुप्ता
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
दिव्यांग वीर सिपाही की व्यथा
दिव्यांग वीर सिपाही की व्यथा
लक्ष्मी सिंह
*प्रखर राष्ट्रवादी श्री रामरूप गुप्त*
*प्रखर राष्ट्रवादी श्री रामरूप गुप्त*
Ravi Prakash
हे माँ कुष्मांडा
हे माँ कुष्मांडा
रुपेश कुमार
माल हवे सरकारी खा तू
माल हवे सरकारी खा तू
आकाश महेशपुरी
2549.पूर्णिका
2549.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस
Bodhisatva kastooriya
नर नारायण
नर नारायण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुसलसल छोड़ देता हूं
मुसलसल छोड़ देता हूं
पूर्वार्थ
श्री गणेश (हाइकु)
श्री गणेश (हाइकु)
Indu Singh
धुंधली छाया,
धुंधली छाया,
meenu yadav
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
भलाई
भलाई
इंजी. संजय श्रीवास्तव
हे कलम तुम कवि के मन का विचार लिखो।
हे कलम तुम कवि के मन का विचार लिखो।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
Arghyadeep Chakraborty
जियो जी भर
जियो जी भर
Ashwani Kumar Jaiswal
मंदिर का निर्माण फिर फिर । हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
मंदिर का निर्माण फिर फिर । हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
Rj Anand Prajapati
जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,
जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शीर्षक -बिना आपके मांँ
शीर्षक -बिना आपके मांँ
Sushma Singh
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
Ajit Kumar "Karn"
धरा हरी बनाने को पेड़ लगाओ
धरा हरी बनाने को पेड़ लगाओ
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
झूठ रहा है जीत
झूठ रहा है जीत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कितनी जमीन?
कितनी जमीन?
Rambali Mishra
Loading...