सन्यासी का सच तप
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है..!
अप कितने भी बड़े अमीर सक्सेस हो जाओ आपके पास पैसा सक्सेस सब
अजीब उम्र है... खुद का पता नहीं और
तेरी एक मुस्कुराहट काफी है,
*खीलों से पूजन हुआ, दीपावली विशेष (कुंडलिया)*
*** " अलविदा कह गया कोई........!!! " ***
जो रोज़ मेरे दिल को दुखाने में रह गया
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
या खुदा तू ही बता, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।