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2 May 2024 · 1 min read

*संवेदना*

कैसे संभव होगी लफ्ज़ों से …
संवेदना की अभिव्यक्ति,
संवेदनाओं की गहराई है…
समुद्र से भी गहरी।

आंखों की गहराई में भी
संवेदनाएँ हैं समाई…
खुशी और गम…
दोनों में आंखें भर आई।

ना नापों अश्कों से…
संवेदनाओं की गहराई..
होती दिल की तरह,
खुली आँखों से..
देती नहीं दिखाई।

संवेदनाएं खो देती संवाद,
और…
कर देती मौन,
लेकिन कभी कभी…
शब्द देकर…
कर देती शोर।

समुद्र में गिरे पत्थर की..
क्या नाप पाया कोई गहराई।
यूँ ही लफ़्ज़ों से ना जान पाया…
संवेदनाएं कोई।

संवेदनशीलता से…
लाजिमी है गुफ्तगू और प्रेम,
संवेदनहीनता से रिश्तें…
अक्सर हो जाते हैं मौन।

संवेदनाओं से ही दूरी
संवेदनाओं से ही मेल।
जग में है सारा ‘मधु’…
संवेदनाओं का ही खेल।

6 Likes · 5 Comments · 222 Views
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