अपनी नज़र में रक्खा
अपनी नज़र में रक्खा
जब सब हिसाब है ,
फिर क्या गुनाह कोई
फिर क्या सवाब है ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
अपनी नज़र में रक्खा
जब सब हिसाब है ,
फिर क्या गुनाह कोई
फिर क्या सवाब है ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद