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18 Apr 2024 · 1 min read

चाहता हूं

मोहब्बत की राहें कठिन ही सही
उम्र भर साथ तेरे चलना चाहता हूं

बचपन की यादें भले विस्मृत ही सही
उन्हीं यादों के सहारे जीना चाहता हूं

बिताए साथ तेरे भले चंद ही पल मैंने
उन पलों की छांव में सोना चाहता हूं

वे निगाहें भले क्षणिक ही मिलीं होंगी
निगाहे नाज ए यार में जीना चाहता हूं

उस गली में भले आज वो रौनक नहीं
जिस गली के किस्से सुनाना चाहता हूं

वो किताब जिसे भले ही वो भूल गई
लगाकर सीने से अपने मैं रोना चाहता हूं

दौर बारिश का भले ही मद्धम रहा होगा
तेरी जुल्फों में थमी बूंदे हटाना चाहता हूं

संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश

Language: Hindi
105 Views
Books from इंजी. संजय श्रीवास्तव
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