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22 Sep 2024 · 1 min read

आइना फिर से जोड़ दोगे क्या..?

कसमें वादों को, तोड़ दोगे क्या?
मुझको तन्हा यूँ, छोड़ दोगे क्या?

एक पत्थर, हजार टुकड़े हैं,
आइना फिर से जोड़ दोगे क्या?

ये मुहब्बत बड़ी बुरी शै है,
इस रिवायत को तोड़ दोगे क्या?

मैं मुलाज़िम हूँ आपका माना,
बेवज़ह यूँ निचोड़ दोगे क्या?

शोहरत भी है और दौलत भी,
रुख़ हवाओं का मोड़ दोगे क्या?

माना मौसम जरा सा, नाज़ुक है,
हाथ छोड़ो, झिंझोड़ दोगे क्या.?

बेजुबां हैं, ये सब परिंदे.., तो,
इनकी गर्दन मरोड़ दोगे क्या…?

पंकज शर्मा “परिंदा”🕊️

Language: Hindi
83 Views

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