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16 Apr 2024 · 1 min read

एक बेजुबान की डायरी

कहने वाले कहते हैं कि खामोशी अच्छी होती है। कई रिश्तों की आबरू ढँक लेती है, लेकिन यह कदापि ठीक नहीं। एक बेजुबान लड़की की डायरी में लिखा था :

परियों की दुनिया को सच समझने वाली और गुड्डे-गुड़ियों के ब्याह से खुश होने वाली 6 साल की बच्ची से घर के नौकर ने रैप किया, 9 बरस की उम्र में मौसी के 18 वर्षीय बेटे ने, 14 बरस की उम्र में दोस्ती का नाटक करके पड़ोसी लड़के ने और 17 बरस की उम्र में चाचा के यहाँ मेहमानी जाने पर चचेरे भाई ने रैप किया। रोने और गिड़गिड़ाने पर माँ और रिश्तेदार महिलाओं ने कहा- “चुप रहो, इससे बहुत बदनामी होगी।”

मुझे इस डायरी को पढ़कर समझ न आया कि कौन सा उपयुक्त शब्द है, इस जख्म के मरहम के लिए। फिर भारी मन से डायरी बन्द कर दी मैंने।

… मगर एक बात है, आज दौर बदल गया है। सोशल मीडिया के कारण लोग मुखर होकर अपनी बात रखने लगे हैं। माता-पिता और अभिभावकों में जागरूकता आई है। बेहतर है कि वे अपनी बच्ची की आवाजें ना छीने। कुछ खोखले रिश्तों को बचाने के लिए लड़कियों को गूंगी कदापि न बनाएँ।

मेरी प्रकाशित कृति : ‘ककहरा’ (दलहा, भाग-5) से,,,।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 165 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
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