मोहब्बत के लिए गुलकारियां दोनों तरफ से है। झगड़ने को मगर तैयारियां दोनों तरफ से। ❤️ नुमाइश के लिए अब गुफ्तगू होती है मिलने पर। मगर अंदर से तो बेजारियां दोनो तरफ से हैं। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ग़ज़ल (याद ने उसकी सताया देर तक)
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
बुन लो सपने रात ढलती चांदनी में
ग़ज़ल- वहीं इक शख़्स दुनिया में
*रोना-धोना छोड़ कर, मुस्काओ हर रोज (कुंडलिया)*
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है