Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2024 · 3 min read

एक लेख

घमण्ड करना अलग बात है,खुद के वजूद को बचाये रखना अलग बात है ,बल्ब के फ्यूज होने को इंसान के रिटायर से जोड़ना मुझे तो समुचित नहीं लगता । समाज आपको उस नजरिये से देखता है जैसे आप दिखाना चाहते हो । पद का पॉवर पद पे रहते काम आता है किंतु आपके सोचने की शक्ति खुद को एक्सप्लेन करने की शक्ति आपको उतना ही मजबूत बनाती है जितना आप पहले थे । पता है हम किस माहौल में जीते हैं, हम इस माहौल में पले बढ़े हैं लोग क्या सोचेंगे कोई भी काम करने से पहले सबसे पहले यहीं बात दिमाक में बिजली की तरह कौंध जाती है , मेरा ये मानना है इंसान को अपने विचारों की भी कद्र कर लेनी चाहिए उसे खुद पर और खुद के विचारों पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए ,बशर्ते आपको यह निश्चित कर लेना चाहिए कि आप जो कर रहे हैं उससे किसी को कोई क्षति नहीं होने वाली । मुँह मिट्ठू होना किसी को नागवार लग सकता है किंतु इससे किसी को हानि होने वाली नहीं है ।अगर आप वह तारीफ किसी को नीचा दिखाने के लिए कर रहे हैं तो निश्चित ही आप पतन के दौर से गुजर रहे हैं । दूसरा व्यक्ति को अपने विवेक व परिस्थितियों के अनुसार खुद को जताना आना चाहिये । अगर आपने ऐसा परिवेश तैयार किया है जिसमे कोई छोटा बड़ा नहीं होता दस वॉट बीस वॉट सौ वॉट हजार वॉट बल्ब सिर्फ बल्ब तक ही सीमित रहे उसका कार्य रोशनी फैलाना है ।अगर आप इस प्रकार के विचारों के दायरे में रहते हैं तो लोगों की नजरों में आपका कद वैसा ही बना रहता है पद पर रहते हुए भी और रिटायरमेंट के बाद भी । मुख्य विषय सोच और नजरिये का है एक व्यक्ति अपने रुतबे को किन लोगों के बीच जाहिर कर रहा है किस परिस्थिति में जाहिर कर रहा है उसमें अभिमान है या स्वाभिमान इस बात को दोनों ही अच्छे से समझते हैं । जताने वाला भी और वह भी जो सुन सुन कर पक गया है । अगर कोई एक आदमी एक ही व्यक्ति को अपनी तारीफ सुनाता है तो यह श्रेष्ठ अभिव्यक्ति नहीं है दोनों ही मूर्खता कर रहे हैं अगर पहले दिन ही मामला क्लीयर हो जाता तो कहानी आगे बढ़ती ही नहीं जैसे बल्ब की, किसी भी वस्तु या इंसान का महत्व हमने अपने स्वार्थ के आधार पर तय कर लिया है जब तक स्वार्थ है तब तक प्रीत और मोह है यहीं ढर्रा चल पड़ा है किन्तु मुख्य विषय भाव का है और यह भावगत बदलाव नई पीढ़ी में अचानक से नहीं आ गया है इसे आने में पीढ़ियों का योगदान है । भाव से अभिप्राय देखो लोगों के पास आज भी कोई न कोई चीज ऐसी हैं जिनसे उनका लगाव और जुड़ाव तो है किंतु उनसे उनका कोई स्वार्थ सिद्ध नहीं होता मेरे पास आज भी वो घड़ी है जो मैंने पहली बार खरीदी थी आज वो ख़राब है लेकिन मैंने फ्यूज बल्ब की भाँति मैंने उसे फैंक नहीं दिया उससे मेरा भावनात्मक जुड़ाव आज भी है , और यहीं बात महत्व रखती है पद रुतबा इसके आगे कोई महत्व नहीं रखता । मेरा यह मानना है कि खुद को जताओगे नहीं तो लोग तुम्हें अकिंचन मानकर ठुकरा देंगे किन्तु इन्हीं लोगों के बीच अगर तुमने अपनी काबिलियत को सिद्ध कर दिया तो आपका सम्मान मरणोपरांत भी समाप्त होने वाला नहीं है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
115 Views

You may also like these posts

कोई नाराज़गी है तो बयाँ कीजिये हुजूर,
कोई नाराज़गी है तो बयाँ कीजिये हुजूर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*अद्वितीय गुणगान*
*अद्वितीय गुणगान*
Dushyant Kumar
प्रेम की कहानी
प्रेम की कहानी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बांधाए आती हैं आने दो हर बाधा से लड़ जाऊँगा । जब तक लक्ष्य न
बांधाए आती हैं आने दो हर बाधा से लड़ जाऊँगा । जब तक लक्ष्य न
Ritesh Deo
युवा संवाद
युवा संवाद
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
विषय -'अनजान रिश्ते'
विषय -'अनजान रिश्ते'
Harminder Kaur
मु
मु
*प्रणय*
एक कलाकार/ साहित्यकार को ,
एक कलाकार/ साहित्यकार को ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
चलेंगे साथ जब मिलके, नयी दुनियाँ बसा लेंगे !
चलेंगे साथ जब मिलके, नयी दुनियाँ बसा लेंगे !
DrLakshman Jha Parimal
2500.पूर्णिका
2500.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तेरी यादों की
तेरी यादों की
हिमांशु Kulshrestha
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
अंसार एटवी
दूब और दरख़्त
दूब और दरख़्त
Vivek Pandey
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मनोभाव
मनोभाव
goutam shaw
मैंने उस नद्दी की किस्मत में समंदर लिख दिया
मैंने उस नद्दी की किस्मत में समंदर लिख दिया
Nazir Nazar
उड़ जा,उड़ जा पतंग,तू ऐसे रे
उड़ जा,उड़ जा पतंग,तू ऐसे रे
gurudeenverma198
" क्यों "
Dr. Kishan tandon kranti
कभी राधा कभी मीरा ,कभी ललिता दिवानी है।
कभी राधा कभी मीरा ,कभी ललिता दिवानी है।
D.N. Jha
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
Khaimsingh Saini
बेरोजगार युवाओं का दर्द।
बेरोजगार युवाओं का दर्द।
Abhishek Soni
चार यार
चार यार
Sakhi
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
बचपन रोता-मुसकाता है
बचपन रोता-मुसकाता है
कुमार अविनाश 'केसर'
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
Ravi Prakash
‘बेटियाँ’
‘बेटियाँ’
Vivek Mishra
कहो जय भीम
कहो जय भीम
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
एक साक्षात्कार - चाँद के साथ
एक साक्षात्कार - चाँद के साथ
Atul "Krishn"
Loading...