मैं विश्वास हूँ
मैं आस हूँ विश्वास हूँ, तेरे लबो की प्यास हूँ।
तू मुझमे हैं मैं तुझमे हूँ, ये कैसे क्या हैं हो रहा।।
मैं खो गया तू पा गई, मैं तुझमे यूँ समा गया।
जैसे हम बने हो केवल, एक दूजे के लिए ही हो।।
तू लिपटी हैं कुछ इस तरह, जैसे कोई बेल हो।
मैं आसरा ही बन गया, जैसे कोई मीत हूँ।।
मैं गीत हूँ तू गुनगुनाए, जैसे चाहे तू बजाए।
मैं तेरा विश्वास हूँ, मैं आस हूँ मैं आस हूँ।।
मैं तेरा कुछ खास हूँ, तू कर मुझपे विश्वास यूँ।
मैं तेरी आत्मा का, अनछुआ विश्वास हूँ।।
मैं खास हूँ मैं खास हूँ, मैं तेरा विश्वास हूँ।
मैं आस हूँ विश्वास हूँ, तेरे लबो की प्यास हूँ।।
ललकार भारद्वाज