Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
#6 Trending Author
Dr. Kishan tandon kranti
293 Followers
Follow
Report this post
7 Apr 2024 · 1 min read
“पैमाना”
“पैमाना”
सबूत क्या दें कि
किस हाल पर जीते हैं,
पैमाने बने नहीं
मोहब्बत नापने वाले।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
3 Likes
·
3 Comments
· 181 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
पूनम का चाँद (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तस्वीर बदल रही है (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
नवा रद्दा (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तइहा ल बइहा लेगे (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
परछाई के रंग (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सबक (लघुकथा-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सौदा (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
जमीं के सितारे (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
बेहतर दुनिया के लिए (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
मेला (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
You may also like these posts
लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
Rj Anand Prajapati
जीवन का सत्य
Ruchi Sharma
कर्मों के परिणाम से,
sushil sarna
क्या सत्य है ?
Buddha Prakash
3072.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
शांति दूत
अरशद रसूल बदायूंनी
"ख्वाहिशें"
Dr. Kishan tandon kranti
*"बापू जी"*
Shashi kala vyas
#परिहास
*प्रणय*
बस हौसला करके चलना
SATPAL CHAUHAN
खाली पेड़ रह गए
Jyoti Roshni
प्रकृति का दर्द
Abhishek Soni
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
नारी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जब प्रेम की अनुभूति होने लगे तब आप समझ जाना की आप सफलता के त
Ravikesh Jha
*आए ईसा जगत में, दिया प्रेम-संदेश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इन्साफ की पुकार
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
दिन में रात
MSW Sunil SainiCENA
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
शशि कांत श्रीवास्तव
नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
पर्यावरण संरक्षण का नारा
Sudhir srivastava
बासठ वर्ष जी चुका
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कर मुक्त द्वेष से खुदको
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मन से हरो दर्प औ अभिमान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
Phool gufran
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
जय लगन कुमार हैप्पी
शरद सुहानी
C S Santoshi
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?
कवि रमेशराज
Loading...