फैलाकर बाहें इंतजार ए मोहब्बत कायम रक्खा है
आज की इस भागमभाग और चकाचौंध भरे इस दौर में,
यदि आपका दिमाग़ ख़राब है तो
मैं "परिन्दा" हूँ........., ठिकाना चाहिए...!
चाहे हम कभी साथ हों न हो,
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश हो जाना।
उन्होंने प्रेम को नही जाना,
बापूजी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
एक शिक्षक होना कहाँ आसान है....
दीन-दयाल राम घर आये, सुर,नर-नारी परम सुख पाये।
लंबे सफ़र को जिगर कर रहा है
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
खुदा ने ये कैसा खेल रचाया है ,
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
कौन सी जमात में पढ़ती हो तुम मोहल्ले के लड़के बता रहे थे बड़
आत्मनिर्भर नारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
स्वाभिमानी व्यक्ति हैं चलते हैं सीना ठोककर