विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
दूसरों की लड़ाई में ज्ञान देना बहुत आसान है।
अकेले आए दुनिया में अकेले ही तो जाना है।
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
"इस्तिफ़सार" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
आज मैंने खुद से मिलाया है खुदको !!
हम न होंगे तो ये कहानी बेअसर हो जायेगी,