जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
*माता हीराबेन (कुंडलिया)*
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
गजानंद जी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
सोचा था तुम तो-------------
बदलना न चाहने वाले को आप कभी बदल नहीं सकते ठीक उसी तरह जैसे
ग़ज़ल-अपनी ही एक ख़ुमारी है !
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
होता है हर किसी को किसी बीती बात का मलाल,
ब्रह्म तत्व है या पदार्थ या फिर दोनों..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
:====:इंसान की अकड़:====: