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31 Oct 2023 · 1 min read

लौह पुरुष

लौह पुरुष

खंड खंड में बंटा राष्ट्र था मेरा
एकीकरण एक अबूझ पहेली थी
एक ओर था बंटवारा राष्ट्र का तो
दूजी ओर उथल पुथल अंदरूनी थी

किसी राज्य ने विलय नही चाहा
तो कोई जा बैठा था दूजे खेमे में
निरीह जनता बनी मूक दर्शक थी
चहुं ओर हा हा कार के मेले में

ऐसे में आगे आकर हे महामानव
नई दिशा देश को दिखलाई थी
अपने अडिग आत्मविश्वास से तुमने
एकता की मजबूत गांठ लगाई थी

पांच सौ बांसठ रियासतें मिलाकर
राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया था
तभी तो आगे चलकर वह महापुरुष
लौह पुरुष राष्ट्र का कहलाया था

आज जयंती पर सरदार तुम्हारी
कोटि कोटि नमन राष्ट्र करता है
तुम्हारे ही आदर्शों और मूल्यों पर
प्रतिज्ञा आगे बढ़ने की करता है

इति

संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
31.10.2023

Language: Hindi
158 Views
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