अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
हर बार धोखे से धोखे के लिये हम तैयार है
ज़िंदगी में इक हादसा भी ज़रूरी है,
बनके रहा पहाड़ मैं, झूठा लिए गुमान
गीत- लगें कड़वी मगर बातें…
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
हिंदी दोहे - उस्सव
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तिरंगे का रंग थोड़ा और गहरा करने को
जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना
-संयुक्त परिवार अब कही रहा नही -
परिवर्तन चाहिए तो प्रतिवर्ष शास्त्रार्थ कराया जाए
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
*बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज (कुंडलिया)*