Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . .

दोहा त्रयी. . . .

आक धतूरे से करें, भोले का शृंगार ।
जयकारों से गूँजता, भोले का दरबार । ।

शिव की माया का भला, किसने पाया पार ।
भोले अपने भक्त का, सदा करें उद्धार ।।

शिव शंकर के नाम का, जो करता है जाप ।
जनम- जनम के काटता, भोला उसके पाप ।।

सुशील सरना / 8-2-24

341 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सौभाग्य न सब दिन सोता है
सौभाग्य न सब दिन सोता है
Sudhir srivastava
मानवता
मानवता
Poonam Sharma
अरमान
अरमान
अखिलेश 'अखिल'
कविता
कविता
Nmita Sharma
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
परम सत्य
परम सत्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बसंत पंचमी।
बसंत पंचमी।
Kanchan Alok Malu
राम हैं क्या ?
राम हैं क्या ?
ललकार भारद्वाज
बचपन
बचपन
Shyam Sundar Subramanian
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
Neeraj Naveed
कहने को बाकी क्या रह गया
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
भावों की सरिता
भावों की सरिता
Neerja Sharma
अच्छे करते मेहनत दिन-रात
अच्छे करते मेहनत दिन-रात
Acharya Shilak Ram
*महाकुंभ 2025 प्रयागराज*
*महाकुंभ 2025 प्रयागराज*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
पुरबी के जनक 'महेंद्र मिश्र
पुरबी के जनक 'महेंद्र मिश्र
Indu Singh
#शुभ_दिवस
#शुभ_दिवस
*प्रणय*
My Guardian Angel
My Guardian Angel
Manisha Manjari
*नकली दाँतों से खाते हैं, साठ साल के बाद (हिंदी गजल/गीतिका)*
*नकली दाँतों से खाते हैं, साठ साल के बाद (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
#विषय:- पुरूषोत्तम राम
#विषय:- पुरूषोत्तम राम
Pratibha Pandey
मेले की धूम
मेले की धूम
Shutisha Rajput
बैर नहीं प्रेम
बैर नहीं प्रेम
Sarla Mehta
दोहा पंचक. . . . . नजर
दोहा पंचक. . . . . नजर
sushil sarna
कुछ नहीं बचेगा
कुछ नहीं बचेगा
Akash Agam
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
म़गरुर है हवा ।
म़गरुर है हवा ।
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
मेरी …….
मेरी …….
Sangeeta Beniwal
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
सच्चा सुख कैसे मिले
सच्चा सुख कैसे मिले
अवध किशोर 'अवधू'
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
gurudeenverma198
Loading...