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28 Feb 2024 · 1 min read

जो हुआ वो गुज़रा कल था

जो हुआ वो गुज़रा कल था
वक़्त एक धुँआ है
आज सिर्फ उस धुएं में
कल की बस
महक बाक़ी है

अतुल “कृष्ण”

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