Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

कुछ बूंदें

अवसाद के काले धब्बों को
चेहरे से मिटाने लगी हैं, कुछ बूंदे
बादलों से रिसकर
माथे पे ठहरे सूखे दर्प को
धोने लगी है, कुछ बूंदे
कुछ ठण्डी हवाओं में छिपकर
त्वचा पे हल्की-हल्की उतर आई हैं
कभी छपाक से कुछ बूंदे
सीरत की हर नफ्ज़ पे उभर आई हैं।

कभी घाव के निशान को
हरा कर दे रही हैं, कुछ बुँदे
नजरों से उतरकर भी
खून में उबल रही हैं, कुछ बूँदे
कुछ मिहिर से बेइंतेहान नफरत में
रातों को चुपके-चुपके बरसती हैं
कभी खामोशी में बेबाक कुछ बूँदे
झरने के हुबहु गरजती हैं।

अपने भीतर समेटे, विशाल समंदर से
सराबोर हैं, कुछ बूँदे
उम्र भर की चाहतों का
बहता सैलाब हैं, कुछ बूँदे
कुछ नए गैहान की फिराक में
पल-पल सिमटती,
वो बैचेन रहती हैं
कभी समंदर से खफा, ये बेसब्र बूँदे
दरिया की शक्ल में, एक नई दिशा बहती हैं ।

मिजाज का सूखा-भीगा
एहसास हैं कुछ बूंदे
लम्हों की ताजगी का
नया रूबाब हैं,कुछ बूँदे
कुछ सुर्ख गालों से ढुलककर
धीमी-धीमी महक चुरा लाई हैं
कभी आंखों से बहकर
बेजार कुछ बूंदे,
अपने ही गुमान में
चेहरे के एक ओर उतर आई हैं।

एक दफा ये बा अदीब, बा इकबाल
तो एक दफा अलहड़ भी हैं, कुछ बूँदे
दुख में मीठा-सा आब ये
तो कभी कसाव-सा
आब ए तल्ख हैं, कुछ बूंदे
कुछ उरूज़ के मोहभंग से
अब जरा जरा इठलाने लगी हैं
कभी जज्बातों से लबरेज, कुछ बूँदे
थोड़ा ज्यादा, थोड़ा कम
सब बताने लगी हैं।

शिवम

Language: Hindi
1 Like · 100 Views

You may also like these posts

मधुमाती होली
मधुमाती होली
C S Santoshi
प्रेम की बंसी बजे
प्रेम की बंसी बजे
DrLakshman Jha Parimal
*ये आती और जाती सांसें*
*ये आती और जाती सांसें*
sudhir kumar
..
..
*प्रणय*
स्त्री
स्त्री
Shweta Soni
कविता
कविता
Nmita Sharma
दोहा पंचक. . . .
दोहा पंचक. . . .
sushil sarna
परिवर्तन ही वर्तमान चिरंतन
परिवर्तन ही वर्तमान चिरंतन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...
डॉ. दीपक बवेजा
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन समर है
जीवन समर है
आशा शैली
शुक्रिया तुम्हारा।
शुक्रिया तुम्हारा।
लक्ष्मी सिंह
कौन हूं मैं?
कौन हूं मैं?
Rachana
सजल
सजल
seema sharma
यूं ही नहीं होते हैं ये ख्वाब पूरे,
यूं ही नहीं होते हैं ये ख्वाब पूरे,
Shubham Pandey (S P)
मौत का डर
मौत का डर
Sudhir srivastava
श्रीराम तेरे
श्रीराम तेरे
Sukeshini Budhawne
शिवाजी का प्रश्न(क्या सुसुप्त तुम्हारा ज़मीर है )
शिवाजी का प्रश्न(क्या सुसुप्त तुम्हारा ज़मीर है )
पं अंजू पांडेय अश्रु
*सर्दी (बाल कविता)*
*सर्दी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दहेज़ …तेरा कोई अंत नहीं
दहेज़ …तेरा कोई अंत नहीं
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
आगाज़-ए-नववर्ष
आगाज़-ए-नववर्ष
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
सभ्यों की 'सभ्यता' का सर्कस / मुसाफिर बैठा
सभ्यों की 'सभ्यता' का सर्कस / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
वर्तमान
वर्तमान
Shyam Sundar Subramanian
" प्रतीक्षा "
Dr. Kishan tandon kranti
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: एकटा दृष्टि।
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: एकटा दृष्टि।
Acharya Rama Nand Mandal
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
कृष्णकांत गुर्जर
सच
सच
Neeraj Agarwal
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...