اب سیاست کے ڈھب اسکو آنےلگ
बस जिंदगी है गुज़र रही है
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
किताबों से ज्ञान मिलता है
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
नश्वर सारा जीव जगत है सबने ही बतलाया
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
भोले बाबा की महिमा भजन अरविंद भारद्वाज
कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
23/130.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
दोहा एकादश. . . . जरा काल
मानकीकृत तराजू पर जोखाइत लोकभाषा मैथिली
मुस्कुराती बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं