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20 Feb 2024 · 1 min read

#कस्मे-वादें #

कोई सागर इन आंखों में आता नहीं
कोई नज़ारा इन आंखों को भाता नहीं,
दुनिया के मेले में मिले तो कई रहगुजर
कोई बढ़ के हाथ थाम ले,ऐसा नज़र आता नहीं,

झूठे कस्मों, वादों की सिलवटें समेटते रहे
अक्सर चोट खाकर गिरते, संभलते रहे,
तुम्हारा तवारूफ तो बस इतना ही रहा,
हम बिके दिल के हाथों, तुम बेखबर रहे,

न शिकवा, न गिला किसी बात का
ऐसे अकेले तुम ही नहीं थे खरीददार
मोल तो कइयों ने लगाया इस दिल का
पर क्या करें… हम मुंतज़िर थे किसी की वफा के….

Language: Hindi
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