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19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ज़िन्दगी अब अजाब की सी है ।
खाली बोतल शराब की सी है ।

दर्द लिक्खा है हर सफे जिसके,
ज़िन्दगी उस किताब की सी है ।

अपनी हालत का ज़िक्र क्या कीजै ?
एक बिगड़े नवाब की सी है ।

लब हैं नाजुक , महक रहीं आँखें,
उसकी सूरत गुलाब की सी है ।

है अँधेरा , कभी उजाला भी,
रौशनी माहताब की सी है ।

—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
3 Likes · 146 Views
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