Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 1 min read

तुम आए कि नहीं आए

तुम आए कि नहीं आए
दुवा लाए कि दुआ लाए
मीठा लाए कि तीखा लाए
अपने आए कि पराए आए
मैं पुकारता चला गया।

तुम आराधना करते रह गए
तुम कष्ट करते रह गए
मुझमें आस्था इतना था
मुझमें विश्वास इतना था
क्षतिज के नीचे चलता चला गया ।

तुम मांगते चले गए
मैं देता चला गया
तुमने क्या मांगा ?
मैंने क्या -क्या दे दिया
सारा किताब यादों में रह गया ।

तुम लुटाते चले गए
मैं चुनता चला गया
पैसे लुटाए कि फूल बरसाए
दिल लुटाए कि कांटे बिछाए
मैं गले लगाता चला गया ।

जो तेरा था
तुझको दे दिया
मेरा क्या था ?
वो तो तेरा ही अमानत था
तुम्हारे पास रह गया ।

मैं कहता चला गया
तुम सुनते चले गए
मुकद्दर की बात थी
तुमने कुछ नहीं किया
मैं हाथ मलते चल दिए ।
************************************
@मौलिक रचना घनश्याम पोद्दार
मुंगेर

Language: Hindi
181 Views
Books from Ghanshyam Poddar
View all

You may also like these posts

बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#कविता-
#कविता-
*प्रणय*
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है ...
तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है ...
SURYA PRAKASH SHARMA
हैं दुनिया में बहुत से लोग इश्क़ करने के लिए,
हैं दुनिया में बहुत से लोग इश्क़ करने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
धोखा मिला है अपनो से, तो तन्हाई से क्या डरना l
धोखा मिला है अपनो से, तो तन्हाई से क्या डरना l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
पेड़ों से अगर हमें वाई फाई सिग्नल मिलता तो हर घर के सामने हो
पेड़ों से अगर हमें वाई फाई सिग्नल मिलता तो हर घर के सामने हो
Ranjeet kumar patre
वक्त के हाथों पिटे
वक्त के हाथों पिटे
Manoj Shrivastava
*उदघोष*
*उदघोष*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)*
*पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बिल्ली की लक्ष्मण रेखा
बिल्ली की लक्ष्मण रेखा
Paras Nath Jha
''हम मिलेंगे ''
''हम मिलेंगे ''
Ladduu1023 ladduuuuu
गीत- तेरा जो साथ मिल जाए...
गीत- तेरा जो साथ मिल जाए...
आर.एस. 'प्रीतम'
अपनी आस्थाओं के लिए सजग रहना।
अपनी आस्थाओं के लिए सजग रहना।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
PRADYUMNA AROTHIYA
ଅନୁଶାସନ
ଅନୁଶାସନ
Bidyadhar Mantry
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
surenderpal vaidya
नज़्म
नज़्म
Shikha Mishra
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
Rj Anand Prajapati
" तोहफा "
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क की वो  इक निशानी दे गया
इश्क की वो इक निशानी दे गया
Dr Archana Gupta
3810.💐 *पूर्णिका* 💐
3810.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*** कभी-कभी.....!!! ***
*** कभी-कभी.....!!! ***
VEDANTA PATEL
माँ कौशल्या के बिना
माँ कौशल्या के बिना
Sudhir srivastava
बाढ़
बाढ़
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
दबी दबी आहें
दबी दबी आहें
Shashi Mahajan
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
पूर्वार्थ
कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
निरोध
निरोध
Rambali Mishra
गोपियों का विरह– प्रेम गीत।
गोपियों का विरह– प्रेम गीत।
Abhishek Soni
Loading...