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10 Feb 2024 · 1 min read

निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,

ग़ज़ल
*********

निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,
मिला कर नजर अब हटाना नहीं है !

भले ही कहे जग मुहब्बत करो तो,
सनम से हक़ीक़त छुपाना नहीं है !

जो लड़ना पड़े गर,ज़रा तुम न डरना,
मगर हां, किसी को सताना नहीं है !

करो जो मुहब्बत करो दिल लगाकर,
जमाने को लेकिन बताना नहीं है !

कोई हाल-ए-दिल,जो पूछे तुम्हारा
कभी भी किसी को बताना नहीं है!

फ़साना यही है, मुहब्बत का यारों
लुटाना है सब कुछ बचाना नहीं है !

जुदाई के दिन या,मिलन की हो रातें
कभी दिल से उनको भुलाना नहीं है !!

__डी के निवातिया__

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