कभी ताना कभी तारीफ मिलती है
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
वो गर्म हवाओं में भी यूं बेकरार करते हैं ।
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
*सच्चाई यह जानिए, जीवन दुःख-प्रधान (कुंडलिया)*
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
*********** आओ मुरारी ख्वाब मे *******
कभी भी खुली किताब मत बनो यार
स्तुति - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
गीत- कभी क़िस्मत अगर रूठे...
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना