सोचो, परखो, तोलो, जॉंचो, फिर अपना मत देना भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई
जागो मतदाता अब जागो, फिर चुनाव की बेला आई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
राजनीति के मँजे खिलाड़ी, लगा मुखौटे घूम रहे हैं
हाथ जोड़ते, याचक बनकर, चौखट चौखट चूम रहे हैं
ये स्वर्णिम सपने बाँटेंगे, झाँसे में मत आना भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
जिनको टिकट नहीं मिल पाया, पल में पाले बदल रहे हैं
अब तक जिनको चोर कहा था, चरण उन्हीं के पड़े हुए हैं
ये सारे अवसरवादी हैं, अपना हित साधेंगे भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
शूकर, बंदर, लोमड़, गीदड़,आज इकट्ठे खड़े हुए हैं
शेर न राजा फिर बन जाए,भीतर भीतर डरे हुए हैं
ये जंगल के रक्तबीज हैं, इनकी नीयत समझो भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
गठबंधन या ठगबंधन है, इसका भेद जानना होगा
ये इतने क्यों डरे हुए हैं, इसका मर्म समझना होगा।
थोड़ा काला नहीं यहाँ तो, पूर्ण दाल काली है भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
वो मिलकर भ्रम फैलाएंगे, नोटा नोटा चिल्लाएंगे, वोट व्यर्थ करने की खातिर, नोटा कहकर उकसाएंगे, इनके झाँसे में मत पड़ना, अच्छे को ही चुनना भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
हम इन वादों में क्यों उलझें, क्यों इनके झांसे में आयेंI
हमने सबको अजमाया है, इस पर थोड़ी बुद्धि लगायेंII
विगत हुए उस कालखंड को, वर्तमान से तोलो भाईI
सोचो परखो तोलो जांचो, फिर अपना मत देना भाईIII
आतताइयों के प्रभाव से, मुक्त देश को करना होगा
घर के भीतर घुसे हुए इन, जयचंदों से बचना होगा
पृथ्वीराज चूक ना जाए, सारे बनो चंदबरदाई।
सोचो परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
यह चुनाव है आन बान का, ये उत्सव है संविधान का
चुनो उसे जो मान रख सके, जन गण मन के स्वाभिमान का
विश्व पटल पर भारत माँ का, जो परचम लहरावे भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
ऊँचा भारत का मस्तक हो , ऐसी ही सरकार बनाना
भ्रष्टाचारी, और माफिया,, देशद्रोहियों को ठुकराना
चुनो उसे जो भारत माँ का, रक्खे ऊँचा मस्तक भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
सबको लेकर साथ चले जो, सबका हितचिंतन करता हो
अंत्योदय का लक्ष्य साध कर, दीन हीन का हित करता हो
ऐसे कर्मठ, योग्य पुरुष को, ही अपना मत देना भाई।
सोचो, परखो, तोलो, जाँचो, फिर अपना मत देना भाई।।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
14.03.2019