Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2024 · 1 min read

” क्योंकि , चांद में दाग़ हैं ! “

सूरज की किरणें ,
जीवों और प्राकृतिक के लिए उपहार हैं ।
रोज प्रातः करते पुजा उसकी ,
देते जल हर बार हैं ।
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !
करते उसकी पुजा कभी – कभार हैं ,
कोई माने या ना माने ,
इसी के उदय से करवा चौथ या पतिव्रता त्योहार हैं।

बढ़ते तापमान के साथ ,
सूर्य की ऊर्जा ज्वलनसार हैं ।
चांद पुरा हो या आधा ,
उसकी रौशनी में सरोकार हैं ।
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !
तभी तो ईद का चांद हैं।

दोनों का निवास आसमान हैं ,
उगते सूरज को करते नियमित नमस्कार हैं ।
चांद के लिए मुहूर्त साल में एक – दो बार हैं ,
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !

खुबसूरती की तुलना जैसे चांद हैं ,
देख दाग़ को उठते कई सवाल हैं ।
हर वस्तु की प्रवृत्ति ,
उसके अस्तित्व की पहचान हैं ।
वास्तविकता से परे ,
फंसे उलझनों में ,
कैसी ये मानसिकता , क्या ये विचार है ?
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !

– ज्योति

Language: Hindi
1 Like · 95 Views
Books from ज्योति
View all

You may also like these posts

बन के आंसू
बन के आंसू
Dr fauzia Naseem shad
कुण्डल / उड़ियाना छंद
कुण्डल / उड़ियाना छंद
Subhash Singhai
करें नही अस्तित्व का,
करें नही अस्तित्व का,
RAMESH SHARMA
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
🍇🍇तेरे मेरे सन्देश-1🍇🍇
🍇🍇तेरे मेरे सन्देश-1🍇🍇
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"जागो"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
पंकज परिंदा
*उषा का आगमन*
*उषा का आगमन*
Ravindra K Kapoor
😢अब😢
😢अब😢
*प्रणय*
Lonely is just a word which can't make you so,
Lonely is just a word which can't make you so,
Chaahat
पहाड़ की पगडंडी
पहाड़ की पगडंडी
सुशील भारती
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
चोरी की कविताएं पढ़कर
चोरी की कविताएं पढ़कर
Manoj Shrivastava
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
Shambhavi Johri
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
Sakhawat Jisan
'न पूछो'
'न पूछो'
Rashmi Sanjay
मिजाज़
मिजाज़
पं अंजू पांडेय अश्रु
अपने ही चमन के फूल थे वो
अपने ही चमन के फूल थे वो
Mahesh Tiwari 'Ayan'
मेरी अभिलाषा है
मेरी अभिलाषा है
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
चंद ख्वाब मेरी आँखों के, चंद तसव्वुर तेरे हों।
चंद ख्वाब मेरी आँखों के, चंद तसव्वुर तेरे हों।
Shiva Awasthi
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
बचपन
बचपन
Shyam Sundar Subramanian
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
डा गजैसिह कर्दम
*बॉस की चिड़िया बैठाना (हास्य व्यंग्य)*
*बॉस की चिड़िया बैठाना (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
दुनिया में हज़ारों हैं , इन्सान फ़रिश्तों  से  ,
दुनिया में हज़ारों हैं , इन्सान फ़रिश्तों से ,
Neelofar Khan
3576.💐 *पूर्णिका* 💐
3576.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पाती कर दे
पाती कर दे
Shally Vij
Loading...